Thursday, 24 November 2016

अनसुनी कहानी .....

कोई अनसुनी कहानी 
या अधूरा सा  किस्सा है 
इस सफ़र के सूनेपन में 
कुछ मेरा भी हिस्सा है 

कोई आँच तो लगी होगी 
जो यूँ आँख में नमी सी है 
ये टूटना है ख्वाबों का 
या ख़्वाब की कमी सी है 

गुस्ताख़ कोई आंधी थी 
चिराग़ जिससे हारा था 
या न काबिल  ही देखने को 
बाकी कोई नज़ारा था 

मुट्ठी भरी लकीरों में 
उलझी सी ज़िन्दगानी है 
न कल की आस दिखती है 
न अतीत की निशानी है 

कोई आज भी है हैराँ 
जो है आँखों से बहता पानी 
उसे क्या भला पता है 
मेरी अनसुनी कहानी 


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