ढूंढो न मुझे अब भीड़ भरे बाज़ारों में
फेर ली है मैंने आँखें सभी नज़ारों से
हूँ लापता अपनी ही तलाश में शायद
अब मुझे गुमशुदा ही रहने दो
ये रोज़ के मरने जीने का सिलसिला
मुस्कराहट में लिपटे अश्क़ों का काफिला
समेट ली है सब दिल की तश्तरी भर कर
न रोको मुझे पानी की तरह बहने दो
सैंकड़ों ख्वाबों को जो खुद ने तोड़ा
हंस के मुस्कुराहटों से मुँह मोड़ा
आज भीगा है जो ज़मीं मेरे अश्क़ों से
मेरी आखों में बीते कल की नमी रहने दो
इस शहर से नहीं रहा कोई रिश्ता मेरा
कहीं दूर वीराने में है फरिश्ता मेरा
हो मुबारक तुम्हे हर जश्न का रंगीन समां
सूना है ज़हन सूना ही उसे रहने दो
फेर ली है मैंने आँखें सभी नज़ारों से
हूँ लापता अपनी ही तलाश में शायद
अब मुझे गुमशुदा ही रहने दो
ये रोज़ के मरने जीने का सिलसिला
मुस्कराहट में लिपटे अश्क़ों का काफिला
समेट ली है सब दिल की तश्तरी भर कर
न रोको मुझे पानी की तरह बहने दो
सैंकड़ों ख्वाबों को जो खुद ने तोड़ा
हंस के मुस्कुराहटों से मुँह मोड़ा
आज भीगा है जो ज़मीं मेरे अश्क़ों से
मेरी आखों में बीते कल की नमी रहने दो
इस शहर से नहीं रहा कोई रिश्ता मेरा
कहीं दूर वीराने में है फरिश्ता मेरा
हो मुबारक तुम्हे हर जश्न का रंगीन समां
सूना है ज़हन सूना ही उसे रहने दो
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