Friday, 3 June 2016

उस दिन कर लेना याद ....

उस दिन कर लेना याद मुझे 
जब वक़्त ज़रा सा थम जाए 
बीती घड़ियों की बूंदे जब 
दिल के कोने में जम जाए 

कर लेना तुम याद मुझे
जब यादें बोझिल हो जाए 
वक़्त के पन्नों की स्याही 
बेवक़्त ही धूमिल हो जाए 

तुम से तुम रुस्वा हो जब 
मुझ में मेरा मन दिख जाए 
करना याद मुझे उस दिन 
जब रंग आँखों का मिट जाए 

करना याद मुझे तुम तब 
जब कलियाँ सब मुरझाई हो 
जब साथ तुम्हारा देने को 
बस अपनी ही परछाई हो 

सूरज की किरणे मध्यम हो
रातों के सितारे सो  जाएँ  
जब सपनों के स्वर्ण-हिरण 
सब अंधियारों में खो जाए 

हो सकता है जब याद करो 
मैं  लौट के ना आ पाऊंगा 
पर यकीं करो गर दर्द में हो 
मैं दूर से अश्क़ बहाऊंगा 

ये समय की धारा है पागल 
यहाँ हर पल हल चल रहती है 
बेवजह ही नदियाँ यादों की 
मेरे आँखों से बहती है 




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