Tuesday, 7 June 2016

अपनी बातें....

फुर्सत से मिलोगे 
तब होंगी बातें 
वक़्त की गलियारों से 
गुज़रते हुए हम 
कर लेंगे बातें 

चलेगी मंद हवा सोंधी सी 
हटेगी धूल ज़हन पर जमी 
परत दर परत 
खुलेंगे दिलों के बहीखाते 
तब आपस  कर लेंगे 
हम ग़मों का हिसाब-किताब 

होगी बारिश  हल्की सी 
तुम्हारी आँखों के सावन की 
और मेरी ख़ामोशी 
मेरे  दर्द के अलफ़ाज़ होंगे 
होगी कहानियों की अदला -बदली 
हर  कहानी में  हम होंगे

ज़िन्दगी के रोशन से रंगमंच से 
थके से होंगे हम 
कई किरदार निभाते शायद 
अपने मुखौटों को दरकिनार किये 
कुछ पल कर लेंगे अपनी बातें  
फुर्सत से मिलोगे  , 
तब होंगी बातें  









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