© bhaskar bhattacharya
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काँटों भरी हर राह है
जो है हौसला
तो साथ चल
मुझे जूझने की चाह है
आगे सियाही रात है
आंधी और बरसात है
हर मोड़ पर
खतरों की अब
मुझको नहीं परवाह है
जो है हौसला
तो साथ चल
मुझे जूझने की चाह है
बुझदिलों का सफर नहीं
यहां डर की बहती बयार है
है सिसकियों
का सिलसिला
हर सांस में कोई आह है
जो है हौसला
तो साथ चल
मुझे जूझने की चाह है
जो ना ख़त्म हो
जहाँ मंज़िलों
कि ना हो फिकर
ये सफर दिलों
के है दरम्यां
यहाँ राह ही पनाह है
जो है हौसला
तो साथ चल
मुझे जूझने की चाह है
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