क्यों हो तुम ऐसे दयाहीन
क्यों रीत सदा ये होती है
है कहीं तुम्हारा सिंहासन
और कहीं पे राधा रोती है
गोकुल व्याकुल है आस लिए
फिर से तुम रास रचाओगे
किस पाश ने बाँधा है तुमको
कि लौट कभी ना पाओगे
माना की धर्म -समर में तुम
निष्काम कर्म सिखलाओगे
पर प्रेम -अंध इस गोपिन को
तुम कैसे वो समझाओगे
मृण्मयी जीवन लीला में
इस प्रेम की पीड़ा भारी है
तुम दिव्य -पुंज हो ब्रह्म परे
पर गोपिन तो बस नारी है
कृष्ण हो तृष्णा में जिसकी
उसने तन मन सब वारी है
तुम दूर से बस यह कहते हो
हर गोपिन तुमको प्यारी है
स्पर्श करो उस निर्झर को
जो ह्रदय से उसके बहती है
वो स्वप्न लिए मधुसूदन का
बस अश्रुवती ही रहती है
तुम देख रहे हो मौन उसे
वो अश्रु -हार पिरोती है
है कहीं तुम्हारा सिंहासन
और कहीं पे राधा रोती है
क्यों रीत सदा ये होती है
है कहीं तुम्हारा सिंहासन
और कहीं पे राधा रोती है
गोकुल व्याकुल है आस लिए
फिर से तुम रास रचाओगे
किस पाश ने बाँधा है तुमको
कि लौट कभी ना पाओगे
माना की धर्म -समर में तुम
निष्काम कर्म सिखलाओगे
पर प्रेम -अंध इस गोपिन को
तुम कैसे वो समझाओगे
मृण्मयी जीवन लीला में
इस प्रेम की पीड़ा भारी है
तुम दिव्य -पुंज हो ब्रह्म परे
पर गोपिन तो बस नारी है
कृष्ण हो तृष्णा में जिसकी
उसने तन मन सब वारी है
तुम दूर से बस यह कहते हो
हर गोपिन तुमको प्यारी है
स्पर्श करो उस निर्झर को
जो ह्रदय से उसके बहती है
वो स्वप्न लिए मधुसूदन का
बस अश्रुवती ही रहती है
तुम देख रहे हो मौन उसे
वो अश्रु -हार पिरोती है
है कहीं तुम्हारा सिंहासन
और कहीं पे राधा रोती है
Aporva.Radha ki vyakulata vyakt hoti hai.Kintu nayan srikrishna k bhige. Yatharth.Yeha to kavi aur kalakar ki kalpana hai. Aap kaise be chahe vyak kar sakte hai.
ReplyDeleteAporva.Radha ki vyakulata vyakt hoti hai.Kintu nayan srikrishna k bhige. Yatharth.Yeha to kavi aur kalakar ki kalpana hai. Aap kaise be chahe vyak kar sakte hai.
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