तुम आए तन्हा आँखों में
क्यूँ ख्वाब भरा पहग़ाम लिए
मुझे अंधियारों की आदत है
तुम आये सिन्दूरी शाम लिए
गुलफ़ाम हूँ मैं उस गुलशन का
जहाँ शाखें सूखी रहती है
जहाँ हर पल सर्द हवाओं में
बस मिट्टी उड़ती रहती है
जाने क्या देखा तुमने
जो आए हो गुलदान लिए
मुझे अंधियारों की आदत है
तुम आये सिन्दूरी शाम लिए
खामोश पड़ा एक साज़ हूँ मैं
जिसमे कोई संगीत नहीं
हूँ नज़्म पुरानी रूमानी
अब दिखता जिसमे प्रीत नहीं
तुम आए हो ऐसे आँगन में
एक महफ़िल का अरमान लिए
मुझे अंधियारों की आदत है
तुम आये सिन्दूरी शाम लिए
बिन बारिश का बादल हूँ
कुछ धुआँ सा मैं निकलता हूँ
हर रात बना बस ख्वाब कोई
अपनी आँखों में जलता हूँ
तुम नमी संजोए सागर की
क्यों आये हो तूफान लिए
मुझे अंधियारों की आदत है
तुम आये सिन्दूरी शाम लिए
कई बार गिरा और टूटा हूँ
फिर वक़्त ने मुझको जोड़ा है
वो वक़्त ही है जिसने फिर से
आकर मुझको फिर तोडा है
वक़्त से ही लगते हो तुम
आए हो वही अन्जाम लिए
मुझे अंधियारों की आदत है
तुम आये सिन्दूरी शाम लिए
क्यूँ ख्वाब भरा पहग़ाम लिए
मुझे अंधियारों की आदत है
तुम आये सिन्दूरी शाम लिए
गुलफ़ाम हूँ मैं उस गुलशन का
जहाँ शाखें सूखी रहती है
जहाँ हर पल सर्द हवाओं में
बस मिट्टी उड़ती रहती है
जाने क्या देखा तुमने
जो आए हो गुलदान लिए
मुझे अंधियारों की आदत है
तुम आये सिन्दूरी शाम लिए
खामोश पड़ा एक साज़ हूँ मैं
जिसमे कोई संगीत नहीं
हूँ नज़्म पुरानी रूमानी
अब दिखता जिसमे प्रीत नहीं
तुम आए हो ऐसे आँगन में
एक महफ़िल का अरमान लिए
मुझे अंधियारों की आदत है
तुम आये सिन्दूरी शाम लिए
बिन बारिश का बादल हूँ
कुछ धुआँ सा मैं निकलता हूँ
हर रात बना बस ख्वाब कोई
अपनी आँखों में जलता हूँ
तुम नमी संजोए सागर की
क्यों आये हो तूफान लिए
मुझे अंधियारों की आदत है
तुम आये सिन्दूरी शाम लिए
कई बार गिरा और टूटा हूँ
फिर वक़्त ने मुझको जोड़ा है
वो वक़्त ही है जिसने फिर से
आकर मुझको फिर तोडा है
वक़्त से ही लगते हो तुम
आए हो वही अन्जाम लिए
मुझे अंधियारों की आदत है
तुम आये सिन्दूरी शाम लिए
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