और कहीं है मंज़िल मेरी
राहें ये मुझसे कहती है
मन है उस निर्झर की तरह
जो बेकाबू हो बहती है
कई बार गिरा हूँ जीवन में
मैं सख्त खड़े ढलानों पर
है छाप मेरे जज़्बातों की
पाषाण -ह्रदय चट्टानों पर
यूँ वेग है कुछ अनुरागों का
जो अक्सर आया करती है
उस वेग में जब मैं बहता हूँ
मेरी लहरें मुझसे डरती हैं
अनजान हूँ मैं मेरे कल से
और वो कल जो बीत गया
कहते हैं कल मैं हारा था
मुझे लगता है कोई जीत गया
चला हूँ बनने सागर सा
ये दुनिया मेरी राह नहीं
उन्मुक्त अनर्गल बहता हूँ
स्थिरता की कोई चाह नहीं
दिशाहीन ही सही मगर
मेरी धारा बहती रहती है
और कहीं है मंज़िल मेरी
राहें ये मुझसे कहती है
राहें ये मुझसे कहती है
मन है उस निर्झर की तरह
जो बेकाबू हो बहती है
कई बार गिरा हूँ जीवन में
मैं सख्त खड़े ढलानों पर
है छाप मेरे जज़्बातों की
पाषाण -ह्रदय चट्टानों पर
यूँ वेग है कुछ अनुरागों का
जो अक्सर आया करती है
उस वेग में जब मैं बहता हूँ
मेरी लहरें मुझसे डरती हैं
अनजान हूँ मैं मेरे कल से
और वो कल जो बीत गया
कहते हैं कल मैं हारा था
मुझे लगता है कोई जीत गया
चला हूँ बनने सागर सा
ये दुनिया मेरी राह नहीं
उन्मुक्त अनर्गल बहता हूँ
स्थिरता की कोई चाह नहीं
दिशाहीन ही सही मगर
मेरी धारा बहती रहती है
और कहीं है मंज़िल मेरी
राहें ये मुझसे कहती है
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