Wednesday, 19 August 2015

बस कल की ही बात है वो ...

बस कल की ही बात है वो 
जो आज पुरानी लगती है 
वो जीवन के ही लम्हे थे 
जो आज कहानी लगती है 

संगीत वो कैसा था जिसने 
हर साज़ सलोना तोड़ा था 
कैसा वो रिश्ता था जिसने 
हर ग़म से रिश्ता जोड़ा था 

है क्या हासिल इन सालों से 
कुछ तस्वीरों के हिस्से हैं 
बयां उन्ही कुछ हिस्सों में 
दिल टूटने के  किस्से है 

प्यार था जितना सपनों से 
अब रंज भी उतना होता है 
पर  बेग़ैरत है दिल  इतना 
सपनों से लिपटकर रोता है 

है खुशफहमी की इन्तेहाँ 
दिल फ़िर भी नग़मे गाता है 
लेकर अश्क़ों की सियाही वो 
बस ग़ज़लें लिखता जाता है 

लेकिन अब अंदाज़-ए -बयां 
दिल को बेमानी लगती है 
वो जीवन के ही लम्हे थे 
जो आज कहानी लगती है 


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