बरसों बीत गए है तुझको
मुक्त पवन में साँस लिए
तूने महल बनाया पत्थर का
मन में मधुबन की आस लिए
है याद तुझे वो दिन जब तूने
गीत नया कोई गाया था
यूँ लगा था तुझको साथ तेरे
किसी और ने भी दोहराया था
आज कहाँ संगीत है वो
वो साज़ कहाँ जो अपना था
आँखें कहती है साथ तेरे
पर मन कहता वो सपना था
राख लिए उस सपने की
तू दूर कहाँ तक जाएगा
मुढ़कर पीछे जब देखेगा
खुद को ही बिखरा पायेगा
है किसे खबर जीवन पथ पर
तुझे भय लगता है मुढ़ने में
किसको पता तुझे दर्द है होता
टूट के फिर से जुड़ने में
तेरी बोझिल आँखें कहती है
अब सपना देख न पाएगा
रिक्त मगर अनुरागों से भी
तुझसे रहा न जाएगा
है यूँही जटिल ये जीवन कुछ
नहीं आएगा तुझे रास प्रिये
तूने महल बनाया पत्थर का
मन में मधुबन की आस लिए
मुक्त पवन में साँस लिए
तूने महल बनाया पत्थर का
मन में मधुबन की आस लिए
है याद तुझे वो दिन जब तूने
गीत नया कोई गाया था
यूँ लगा था तुझको साथ तेरे
किसी और ने भी दोहराया था
आज कहाँ संगीत है वो
वो साज़ कहाँ जो अपना था
आँखें कहती है साथ तेरे
पर मन कहता वो सपना था
राख लिए उस सपने की
तू दूर कहाँ तक जाएगा
मुढ़कर पीछे जब देखेगा
खुद को ही बिखरा पायेगा
है किसे खबर जीवन पथ पर
तुझे भय लगता है मुढ़ने में
किसको पता तुझे दर्द है होता
टूट के फिर से जुड़ने में
तेरी बोझिल आँखें कहती है
अब सपना देख न पाएगा
रिक्त मगर अनुरागों से भी
तुझसे रहा न जाएगा
है यूँही जटिल ये जीवन कुछ
नहीं आएगा तुझे रास प्रिये
तूने महल बनाया पत्थर का
मन में मधुबन की आस लिए
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