Friday, 21 August 2015

यूँ तरसता क्या है ...

तक़दीर का  ग़मों से रिश्ता क्या है 
है गर ख़ुशफ़हम तो यूँ तरसता क्या है 

दिखाई तूने बहुत अपने लबों की जो हँसी 
फिर आँखों के किनारों से बरसता क्या है 

रुके हैं अब भी कई बूँद तेरे जज़्बातों के 
बता दे उनको निकलने का रास्ता क्या है 

जो मिला दर्द तुझे आज तो मालूम चला 
इन आँखों का आँसुओं से वास्ता क्या है 

बह चले ख़्वाब तेरे आँखों से दरिया बनकर 
दिल के अँधेरे में तू यूँ ही तलाशता क्या है 

वो बुत मिट्टी का गल गया था तेरी आँखों में 
अब पत्थर में उसे फिर से तराशता क्या है
   

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