साथ लाया हूँ क्या ?
चाय की एक प्याली खाली
और एक तश्तरी बातें
सिर्फ बातें, तुम्हारी कही हुई
मेरी सुनी हुई बातें
शायद कुछ अनकहे ,अनसुने
लफ़्ज़ों के सिलसिले भी
जो दिल से निकले तो थे
पर लबों से छूट न सके
शोर है शायद
तुम्हारी उन्ही बातों का
कि मुश्किल है अब
खुद का खुद को सुन पाना
याद है अब भी मुझे बातें
तुम्हारी आँखों से कही
मेरा उलझना उन बातों में
और आँखों में खो जाना
आज भी हूँ कुछ खोया सा
या फिर रह गया है पीछे
तुम्हारी अनकही बातों की तरह
खामोशियों से लिपटा हुआ
यादों की सिलवटों में शायद
साथ रह गया है तुम्हारे
एक टुकड़ा वजूद मेरा
साथ है कुछ तुम्हारा तो बस
चाय की वो प्याली खाली
और एक तश्तरी बातें
चाय की एक प्याली खाली
और एक तश्तरी बातें
सिर्फ बातें, तुम्हारी कही हुई
मेरी सुनी हुई बातें
शायद कुछ अनकहे ,अनसुने
लफ़्ज़ों के सिलसिले भी
जो दिल से निकले तो थे
पर लबों से छूट न सके
शोर है शायद
तुम्हारी उन्ही बातों का
कि मुश्किल है अब
खुद का खुद को सुन पाना
याद है अब भी मुझे बातें
तुम्हारी आँखों से कही
मेरा उलझना उन बातों में
और आँखों में खो जाना
आज भी हूँ कुछ खोया सा
या फिर रह गया है पीछे
तुम्हारी अनकही बातों की तरह
खामोशियों से लिपटा हुआ
यादों की सिलवटों में शायद
साथ रह गया है तुम्हारे
एक टुकड़ा वजूद मेरा
साथ है कुछ तुम्हारा तो बस
चाय की वो प्याली खाली
और एक तश्तरी बातें
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