है कश्मकश ये ज़िन्दगी
पेंचीदगी भरी हुई
जियें इसे तो किस तरह
ये सोचता हूँ मैं अभी
रस्में यहाँ अजीब है
दिखता जो करीब है
वही जुदा ख्यालों से
ये देखता हूँ मैं अभी
कभी हवा है नर्म सी
और तीर की तरह कभी
दे जो ज़ख्म रूह को
घायल पड़े यहाँ सभी
ना किसी की चाह में
और न ख्वाबगाह में
रहना है हसरतें लिए
बस अश्क़ की पनाह में
जज़्बात की है मुफलिसी
गुमशुदा ईमान है
पत्थरों के बुत से है
बस नाम के इंसान है
अपना नहीं है कुछ यहाँ
और न कोई पास है
मगर हूँ यूँ मैं ख़ुशफ़हम
की ज़िन्दगी की आस है
पेंचीदगी भरी हुई
जियें इसे तो किस तरह
ये सोचता हूँ मैं अभी
रस्में यहाँ अजीब है
दिखता जो करीब है
वही जुदा ख्यालों से
ये देखता हूँ मैं अभी
कभी हवा है नर्म सी
और तीर की तरह कभी
दे जो ज़ख्म रूह को
घायल पड़े यहाँ सभी
ना किसी की चाह में
और न ख्वाबगाह में
रहना है हसरतें लिए
बस अश्क़ की पनाह में
जज़्बात की है मुफलिसी
गुमशुदा ईमान है
पत्थरों के बुत से है
बस नाम के इंसान है
अपना नहीं है कुछ यहाँ
और न कोई पास है
मगर हूँ यूँ मैं ख़ुशफ़हम
की ज़िन्दगी की आस है
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